रिपोर्ट---रज़िया बानो खान
अरुण जेटली ने अपने राजनीतिक कार्यकाल में भले ही कितने सख्त फैसले लिए हो लेकिन उनका ह्रदय बड़ा ही कोमल था वो हर उस शख्स की मदद करते थे जिसको मदद की ज़रूरत होती थी और जो मदद के लिए उनके पास जाता था उनके बारे में और कई दिलचस्प बातें उन लोगो से पता चली जो उनके करीबी थे अरुण जेटली की शव यात्रा के दौरान लोगो की खासी भीड़ के बावजूद एक गुमनाम सा सन्नाटा था मानो उनकी मौत की खबर से फिजायें भी मातम मना रही हों।
अरुण जेटली ने कभी राजनीती में सक्रिय भूमिका नही निभाई लेकिन भाजपा के लिए वो संजीवनी बूटी की तरह थे उनके जाने का दुख पीएम नरेंद्र मोदी को भावुक कर गया वो भले ही विदेश यात्रा पर है लेकिन इस खबर ने उन्हें किसी अपने के जाने का एहसास दिला दिया नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज उनका सबसे अच्छा दोस्त उन्हें छोड़ कर चला गया जिसका उन्हें बहुत दुख है उन्होंने कहा कि पहले बहन सुषमा के जाने का दुख अब दोस्त खोने का गम इससे में बहुत आहत हुआ हूं।
अरुण जेटली ने अपने जीवन काल मे जो सौम्य आचरण रखा उसी के कारण आज विपक्ष भी उनके जाने पर भावुक दिखाई दे रहा है नेता तो नेता सामान्य लोग भी उनकी अंतिम यात्रा के दौरान हाथ जोड़े खड़े दिखाई दे रहे थे।दिल्ली के निगम बोध घाट पर आज 2 बजकर 30 मिनट पर पंच तत्व में विलीन हो जाएगा अरुण जेटली का पार्थिव शरीर और रह जाएंगी उनकी यादें हमारे बीच और उनका हर फैसला जिसने देश हित के लिए कई बार आलोचलाओ का भी सामना किया।