राजधानी में पुलिस सुस्त चोर चुस्त , प्रशासन मौन.....???

रिपोर्ट---गोपाल सिंह 


 


 

चोरो से राजधानी पनाह मांग रही है लेकिन चोर हैं जो थमने का नाम नही ले रहे हैं वो एक के बाद एक चोरी की घटनाओं को अंजाम देते जा रहे हैं।जैसे मानो उनमे पुलिस का कोई ख़ौफ़ ही ना बचा हो।अभी हालिया घटना जो सुनने में आई है कि भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपाई की कार किसी चोर ने उड़ा ली। जिसका मतलब साफ है कि चोरों की नज़र में ये नही होता कि वो किस्से पंगा ले रहे हैं।उनको तो बस चोरी की वारदात को अंजाम दे कर पुलिस को खुली चुनौती देनी है।

 


 

अब यहां सवाल ये उठता है कि चोरों पर पुलिस का ख़ौफ़ क्यों नही है इसका बड़ा सीधा सा जवाब है वो ये के जिन्हें हम आप चोर लुटेरा समझते हैं वो पुलिस की नज़र में सभ्य आदमी कहलाते हैं।उनका भी एक रसूख होता है क्योंकि शाम को कोई ना कोई पुलिस वाला उन्ही के साथ घूमता दिखाई देता है।पुलिस की खातिरदारी में वो कोई कमी नही रखता हर वक़्त उनका ख्याल रखता है।तभी तो वो पुलिस वालों की नज़र में अच्छा इंसान कहलाता है।पुलिस विभाग में सिपाही की बड़ी अहम भूमिका होती है क्योंकि वो हर गली सड़क से वाकिफ होता है।एक वही है जो मौके पे पहुंचता है और जो कहानी वो अपने वरिष्ठ को समझाता है उसी के आधार पर कार्रवाई की जाती है , और तो और अच्छे गुडवर्क में चोर के साथ उसकी तस्वीर भी नज़र आती है।

 


 

लोगो ने खुद इस बात को देखा होगा कि जो उनके मोहल्ले के नटवरलाल समझे जाते हैं उनके यहां पुलिस के सिपाही बहुत ज़्यादा ही आते हैं और मिलते दोनो ऐसे हैं जैसे पुराने दोस्त हो।सिपाही कम तनखाह पे जीता है इसलिए जो ऐसे नटवरलाल होते हैं उनके साथ ना चाहते हुये भी उन्हें बैठन पड़ता है ,..... और जब बात ऊपर तक पहुंचती है तो उन्हें ही हाजिर करवा कर तस्वीर भी खिंचवा लेता है।हवालात में भी ये याराना दिखाई देता है वो चोर को सिगरेट से कोल्ड्रिंक तक मोहैया कराते है फिर जब छूट के आता है तो वही याराना दोबारा सड़को पर दिखाई पड़ता है।हमारी इस बात से शायद काफी लोग इत्तेफ़ाक़ रखते हो।इसका हमे अंदाज़ा है क्योंकि जो आपको चोर गैंगस्टर लगता है वो उनको असल जिंदगी का लुफ्त देता है इसलिए मौज में रहता है।अब ऐसे में चोरो के हौसले नही बुलन्द होंगे तो किसके होंगे ये सवाल ज़रूर खड़ा होता है......???