रिपोर्ट---रज़िया बानो खान
ज़मीन को लेकर हुई 10 लोगो की सरेआम हत्या ने एक बात तो साफ कर दी है कि यूपी में उसी की तूती बोलती है जिसके आगे कानून भी नतमस्तक है क्योंकि कोई साधारण व्यक्ति इस तरह के अपराध की सोच भी नही सकता था।इसी बात को लेकर यूपी में पक्ष और विपक्ष दोनों आमने सामने आ गए है।एक तरफ जहां कांग्रेस और सपा यूपी में जंगल राज होने की दुहाई दे रहे हैं तो वही दूसरी तरफ सत्ता पक्ष का कहना है कि ये कांग्रेस का पाप है जो उनके सिर माथे आ गया है और सपा भी इसमें शामिल रही है।
अब इसी बयान बाजी को लेकर दोनों तरफ से हमले जारी है दोनों तरफ से तर्क वितर्क का दौर भी ज़ोर शोर से चल रहा है।कांग्रेस कह रही है कि जब यूपी के मुखिया दल बल के साथ घटना के इतने दिन बाद पहुंचे तो 144 क्यों नही टूटी और जब प्रियंका जाने वाली थी तो कैसे टूट जाती ये बताए प्रदेश सरकार तो वही दूसरी तरफ सपा का कहना है कि जो सरपंच इस मामले में गिरफ्तार हुआ है वो उनकी पार्टी का नही है ना ही उसका कोई भी लेना देना है सपा से तो यहाँ तो सत्ता पक्ष की बात बेदम दिखाई दे रही है और विपक्ष छाती ठोक कर सत्ताधारी भाजपा पर हमले बोल रहा है।
सोनभद्र की घटना पर राजनीति इतनी गर्म ना होती अगर प्रदेश सरकार के मुखिया उसी दिन या उसके अगले दिन सोनभद्र जा कर घटना की जानकारी लेते और पीड़ितों को ढांढस बंधाते नज़र आते।और दूसरी बात ये के प्रियंका गांधी को सोनभद्र जाने से ना इस तरह रोका जाता तो भी इसपर राजनीति ना होती और तीसरी बात ये के जिसके शासन काल मे घटना घटी है ये ज़िम्मेवारी भी उसी की होनी चाहिए किसी दूसरे दल पर इसको थोपने के कारण भी इसपर सियासत गर्मा रही है जो लाज़मी भी है।