सोलह श्रृंगार कर निकले नगर भ्रमण पर भगवान जगन्नाथ...
रिपोर्ट---रज़िया बानो खान

 


 

लखनऊ के श्री गौड़ीय मठ मोतीनगर के तत्वावधान में गुरुवार को श्रीश्री जगन्नाथजी रथयात्रा ढोल-नगाड़े, गाजेबाजों तथा संकीर्तन करते भक्तों के बीच भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा के साथ नगर भ्रमण पर निकले। देवी सुभद्रा, बलभद्र एवं भगवान जगन्नाथ जी को रत्नजड़ित पोशाक पहना गया था। भगवान जगन्नाथ जी सोलह श्रृंगार कर अपने भक्तों को दर्शन दे रहे थे। रथयात्रा का शुभारंभ समिति के मठाध्यक्ष विधि विधान से पूजा अर्चना कर प्रभु को झूला झुलाते है फिर चंदन कपूर मिश्रित जल छिड़क कर रथ समार्चना करते हैं। 

 


 

जगन्नाथपुरी की तर्ज पर अवध में निकाली गई जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हर कोई भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए तत्पर दिखा। रथयात्रा की शोभा बढ़ाने के लिए सबसे आगे आयोजन समिति के झंडे पताके, ढोल नगाड़े तथा भगवान जगन्नाथ पर कई स्थानांे पर फूलों की बारिश की गई। मृदंग की थाप व घंटे घड़ियाल की लय पर झूमते भक्तों ने पूरे रास्ते जय जय जगन्नाथ स्वामी, हरि हरि बोल, राधे राधे, बम बम भोले के जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। राजस्थानी परिधान पहने लोकनृत्य के कलाकार पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य कर शोभायमान हो रहे थे। 

 


 

यह रथयात्रा श्री गौड़ीय मठ मंदिर मोतीनगर से ऐशबाग रोड, नाका हिण्डोला, बांसमंडी चौराहा, लाटूश रोड, श्रीराम रोड, अमीनाबाद रोड, गणेशगंज से नाका हिण्डोला, आर्यानगर, मोतीनगर चौराहा होते हुए वापस श्री गौड़ीय मठ मंदिर में पहुंचकर समाप्त हुई। रथयात्रा के समापन के बाद मंदिर में भगवान जगन्नाथ जी की मूर्ति के साथ बलराम, बहन सुभद्रा की प्रतिमा स्थापित की गई। मठाध्यक्ष ने बताया कि आपने कई यात्राओं में भाग लिया होगा जैसे- बद्रीनाथ, केदारनाथ, अमरनाथ आदि ये यात्राएं परिश्रम की अपेक्षा रखते है। यदा-कदा इन यात्राओं में प्राकृतिक विपदाएं भी यात्रियों के दिल की विभीषका का स्मरण दिलाकर अनिच्छा पैदा करती है किन्तु भगवान जगन्नाथ रथयात्रा निराली है यहां भगवान जगन्नाथ जी स्वयं मंदिर से निकलकर जनपथ में उतरते है सबको दर्शन देते है। यहां भगवान भक्त के पास दौड़कर जाते हैं जबकि अन्य यात्राओं में भक्त दौड़ता हैं भगवान के पास। भगवान अपने सिंहासन पर विराजमान रहते है भक्त को बुलाते है। इस शोभायात्रा में कोलकाता, उड़ीसा, मुंबई, दिल्ली, कुरूक्षेत्र, मथुरा, वृन्दावन, पटना, मुगलसराय, काशी, प्रयागराज से पधारे अनेक संतजन एवं गणमान्य लोग सम्मिलित होकर भगवान जगन्नाथ जी अपने को समर्पित कर पूजा अर्चना करते हैं।