सरकार चाहे जो राग अलापे लेकिन मैं तो कश्मीर को भारत से...
रिपोर्ट---गोपाल सिंह.....

 


 

बड़ा दुख हुआ हर भारतीय को उस वक़्त जब भारत न्यूजीलैंड से सेमीफाइनल मैच 18 रन से हार गया। लेकिन इसी हार पर हमारे देश मे जहां जश्न मना वो है काश्मीर जो कहा जाता है भारत का ही अंग है। इसी के नाम पे वोट मांगे जाते हैं और इसी के नाम पे सियासी रोटी भी खूब सेकी जाती है लेकिन हक़ीक़त इससे बिल्कुल जुदा ही दिखाई देती है।

 



 

हमने हर बार देखा कि कश्मीर के लोग आतंकवादियों का साथ इतना ज्यादा देते हैं कि वहां हमारी सेना उनके आगे नतमस्तक हो जाती है,......और तो और हमने वीडियो में ये तक देखा कि हमारी सेना को पत्थर मारने में वहां की महिलाओं और बच्चो का विशेष योगदान रहता है। जो ये बताने के लिए काफी है कि काश्मीरी लोग खुद को भारत का हिस्सा नही मानते। अब इसके पीछे कारण क्या है ये हम नही कह सकते लेकिन हम इतना ज़रूर कह सकते हैं कि हमारी मतलबी राजनीति ने ये अवसर दिया है।

 


 

जब भी देश मे चुनाव आता है तो हमारी भाजपा सरकार ये कहते नहीं थकती है कि हम काश्मीर के मुद्दे पर गंभीर हैं। उसके लिए सर्वस न्यौछावर करने को तैयार हैं हम हर उस अड़चन को दूर कर देंगे जो भारत को काश्मीर से अलग करता है। लेकिन यहां भी हमे ढाक के तीन पात ही नज़र आता है क्योंकि भारत के हारने पर काश्मीर में जश्न मन रहा है और जिनको हम आतंकवादी कहते आ रहे हैं।उनको ही काश्मीर के लोग संरक्षण दे रहे हैं तो ऐसे में क्या समझा जाए क्या ये के हमारी सरकार भारत को कश्मीर का अंग मानती है या ये काश्मीर को सिर्फ चुनाव जीतने का हथियार बना कर रखना चाहती है। क्योंकि 5 साल से अधिक का समय हो चुका है देश मे भाजपा की सरकार है। उसके बावजूद भारत की हार पे काश्मीर में जश्न तो ये देश की जनता के साथ छलावा नहीं तो और क्या है????