पुलिस का चेकिंग अभियान ही बना अपराध और अपराधियों को रोकने में रोड़ा ...

रिपोर्ट---गोपाल सिंह 

 





 

पुलिस प्रशासन ने हेलमेट की अनिवार्यता का जो बीड़ा उठाया है उससे आम आदमी भले ना सजग हुआ हो।लेकिन आपराधिक प्रवर्ति के लोग इससे काफी खुश हैं ,.... हों भी क्यों ना ये अभियान उनके लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नही साबित होता है जब ये किसी वारदात को अंजाम देने जाते हैं।वैसे तो अगर आप एटीएम पर जाएं तो वहां आपको लिखा मिलेगा के हेलमेट या किसी अन्य चीज़ से मुह को ना ढके ये इसीलिए लिखा होता है क्योंकि अगर एटीएम पर कुछ गड़बड़ी हो तो उस शख्स को सीसीटीवी फुटेज द्वारा तुरंत पहचान लिया जाए। लेकिन लगता है पुलिस को यहां का लिखा दिखा नही और हेलमेट की इतनी सख्ती कर डाली के अपराधों की झड़ी सी लग गई है यूपी की राजधानी में।

 


 

अब बीते कल की ही घटना को ले लीजिए एक इंजीनियर की सरेराह हत्या कर दी जाती है उसके बाद पुलिस आती है और जांच में जुट जाती है। यहाँ प्रत्यक्षदर्शी से हुई बात और सीसीटीवी फुटेज को आधार बना कर कार्यवाही भी शुरू की जाती है सीसीटीवी में हमलावर की कद काठी तो नज़र आती है। लेकिन उसका चेहरा नज़र नही आता क्योंकि उसके चेहरे पर हेलमेट लगा हुआ था।

 


 

हेलमेट होने की वजह से अपराधी के पास तक जल्द पहुंचने वाली पुलिस भी देर से घटना का खुलासा कर पाती है।क्योंकि अगर हेलमेट नही होता तो अपराधी की तस्वीर जारी कर उसका जीना हराम किया जा सकता था।लेकिन हेलमेट ने पुलिस को चकमा देने का काम किया और अपराधी को सकुशल भागने का भी मौका दिया।एक तो वैसे ही पुलिस के पास काफी दबाव रहता है वो चाह कर भी इससे छुटकारा नही पा सकती।उसके ऊपर से ये हेलमेट वाले अपराधी भी इसका फायदा उठाकर जहां मर्ज़ी वहां भागने में कामयाब हो रहे हैं और पुलिस उनकी तलाश में दर दर भटक रही है। क्योंकि फुटेज में सब कुछ तो है पर कुछ भी ऐसा नही जो बता सके ये है आखिर कौन।