लखनऊ पब्लिक स्कूल सरीखे कई निजी स्कूलों में पैसों की लूट का खेल जारी,सरकार ने साधी चुप्पी...
रिपोर्ट---रज़िया बानो खान

 



 

हमे आज भी याद है जब प्रदेश में योगी सरकार का आगमन हुआ था तो सरकार की तरफ से जनता को आश्वस्त किया गया था कि अब निजी स्कूल संचालक उनकी जेब पर डाका नही डाल पाएंगे और उन स्कूलों के लिए भी सरकार एक गाइडलाइन तैयार करेगी जिसके हिसाब से ही निजी स्कूलों में कार्य किया जाएगा।लेकिन लगता है कि सरकार ने निजी स्कूलों को अभय दान दे दिया है और लूट मचाने की खुली छूट भी दे दी है।

 


 

 


 

ऐसा कल की खबर को देख कर आसानी से समझा भी जा सकता है कल सोशल मीडिया वे एक खबर चली थी जिसमे प्रतिष्ठित लखनऊ पब्लिक स्कूल का ज़िक्र था जहाँ बच्चो की नई ड्रेस को लेकर अभिभावक दुकानदार से गुहार लगा रहे थे और दुकानदार उन्हें जबरन दुकान से भगाता नज़र आ रहा था।लखनऊ पब्लिक स्कूल एक ऐसी महान हस्ती का है जिनके ऊपर पूर्व में उसी स्कूल के पार्टनर की हत्या का आरोप भी लगा साहब जेल भी गए और पैसे और रसूख की बदौलत बाइज़्ज़त बाहर भी आ गए अब इनकी पत्नी जो शिक्षक एमएलसी है वही स्कूल का संचालन देख रही हैं।

 


 

जैसा कि सभी जानते हैं कि निजी स्कूल अभिभवकों से ऊलजलूल बातो को लेकर पैसा एठने का कोई ना कोई फार्मूला ढूंढ ही लाते हैं जिससे अभिभावक परेशान हो जाते है जैसे ये स्कूल हर सत्र में अपने स्कूल की यूनिफार्म में फेर बदल कर देते है जिससे अभिभावकों को हर साल नई यूनिफार्म खरीदनी ही पड़ती है।यूनिफार्म भी आपको हर जगह नही मिलती उसमे भी इनकी मोटी कमाई का जरिया बना रहता है क्योंकि ये किसी एक दुकान को उसका ठेका देकर ड्रेस बनवाते हैं और अभिभावकों को उसी दुकान पर भेजते हैं वहां जाने पर 100 का माल 400 में मिलना भी इसलिए लाज़मी है क्योंकि कमीशन की जय है लिहाजा अभिभावक परेशान है।और तो और इनकी फीस का तो हाल ना पूछिये एडमिशन कराने में 20 से 25 हज़ार तक डकार लेते हैं और हर तीसरे महीने पर 15 से 20 हज़ार की मोटी रकम फीस के तौर पर वसूलते हैं भले ही आपका बच्चा क्लास फर्स्ट में क्यों ना हो।अभी हाल ही में सीएमएस के जगदीश गांधी जी भी इसी ड्रेस के फेर में फस कर सुर्खियों में आये थे लेकिन उस बात से सबक लेने के बजाए सभी निजी स्कूल उन्ही का अनुसरण करते दिखाई दे रहे हैं।

 


 

हमारे देश की यही विडम्बना हो गई है सबको अच्छी शिक्षा का अधिकार ही नही है सरकार का निजी स्कूलों पर कोई बस भी नही है सरकार मूक दर्शक बन कर बैठी हुई है और लखनऊ पब्लिक जैसे स्कूल शिक्षा का व्यापार चलाने में मस्त हैं किया भी क्या जाए ऊपर से नीचे तक सेटिंग का खेल है हमारी सरकार एक देश एक चुनाव की बात तो खूब कर रहे हैं लेकिन एक देश एक जैसी शिक्षा पर उसे सांप सूंघ लेता है।