रिपोर्ट---रज़िया बानो खान
भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद नई दिल्ली केपरिषद् सदस्यों का चुनाव हर 5 साल बाद होता है।जो इस वर्ष 18 जुलाई को होना सुनिश्चित हुआ है,इस चुनाव में पुरे देश के सभी प्रदेशो से परिषद् के सदस्य चुने जाते है।जिनका अनुपात प्रत्येक प्रदेश से 10 हज़ार पंजीकृत चिकित्सको पर 1 सदस्य का होता है।आपको बता दे की इस चुनाव में देश भर के पंजीकृत आयुर्वैदिक और यूनानी चिकित्सक मतदान में हिस्सा लेते है।सोमवार को परिषद् के चुनाव की तैयारी राजधानी लखनऊ के राजकीय आयुर्वैदिक एवं यूनानी औषधि निदेशालय उत्तरप्रदेश में सम्पन्न हुयी।
भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद नई दिल्ली के परिषद् सदस्यों का चुनाव में उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य होने के चलते यहाँ के 75 जिलों के पंजीकृत चिकित्साधिकारी अपने अपने प्रदेश में सकुशल चुनाव प्रक्रिया को सम्पन्न करने के लिए लखनऊ पहुँचे।जहाँ उन्होंने होमियोपैथिक निदेशक डॉ० वी० के० विमल और अन्य अधिकारियों से चुनाव प्रक्रिया को बखूबी जाना समझा।वही निदेशक डॉ० वी० के० विमल ने बताया कि परिषद के लिए आयुर्वैदिक और यूनानी दोनों के सदस्य अलग अलग चुने जाते है।
जिनका चुनाव एक साथ ही देश भर के प्रदेशों में कराया जाता है।उन्होंने यहाँ भी बताया की उत्तरप्रदेश देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के कारण परिषद् के सदस्य पद के लिए 75 जिलों से आयुर्वेद के 36 और यूनानी के 9 उम्मीदवार मैदान में उतरे है।जिनका निर्वाचन उत्तरप्रदेश राज्य के पंजीकृत आयुर्वैदिक और यूनानी चिकित्सकों के माध्यम से देश भर में 18 जुलाई को किया जायेगा।जिसके बाद केन्द्र सरकार में आयुष मंत्रालय के अंतर्गत CCIM का गठन जायेगा।जो भारत में आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा शिक्षा का नियंत्रण एवं नियमन करेगा।