ये था अनोखा गठबंधन यूपी में सगाई तो हुई दिल्ली में विदाई...

खास रिपोर्ट---रज़िया बानो खान 


 


 

यहाँ बात किसी आम आदमी की सगाई और विदाई की नही हो रही यहाँ मामला दो राजनैतिक दलों के मिलन और विछोभ का है आप भी समझ गये होंगे कि हम किसकी बात कर रहे है।जी हाँ लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी से मुकाबला करने के लिए यूपी में बुआ और बबुआ ने गठबंध किया और जिसको महागठबंधन का नाम देकर चुनावी मैदान में प्रत्यासी उतारे गये थे।ये सोच कर के इसके हो जाने से देश उनकी मुट्ठी में हो जायेगा लेकिन चुनावी नतीजों ने उस महागठबंधन की ऐसी हवा निकाली के दिल्ली से संकेत आने लगे कि बस अब बहुत हुआ महागठबंधन आगे की लड़ाई अकेले अकेले।

 


 

सूत्रों की माने तो बुआ बबुआ के गठबंधन को बुआ जी ने तोड़ने का मन बना लिया है दिल्ली में हुई उनकी बैठक में हार की जो समीक्षा की गई उसमे पाया गया कि महागठबंधन से बसपा को कोई लाभ नही हुआ। उनका कहना है कि यादव वोट उनकी पार्टी को नही मिला क्योंकि यादव उनको स्वीकार करने के लिए राजी नही हुआ। उन्होंने माना कि सिर्फ पूरा मुस्लिम वोट उनकी पार्टी को मिला है जिस कारण वो इस बार के उपचुनाव में अकेले ही अपने दम पर उम्मीदवार खड़ा करेंगी।

 


 

अभी इस बात पर कोई बयान सामने तो नही आया है लेकिन सूत्रों की माने तो यहां भी अखिलेश यादव का हाल वही हो गया कि आले मिले न विसाले सनम लौट को बुद्धू घर को आये। क्योंकि राहुल का साथ पकड़ा नुकसान हुआ बुआ से गठबंधन किया बुआ दोष दे के अलग होने जा रही। तो इससे अच्छा यही है कि सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी के अपने परिवार और पार्टी को मजबूत करिये।परिवार और कार्यकर्ताओ को एक सूत्र में बांधिये खुद में 2012 वाला जोश खरोश और जस्बा लाइये और एक बार फिर अकेले उपचुनाव के मैदान में कूद जाईये। जिससे न अब ऐसी नोबत आयेगी और परिणाम भी उपरवाले की इच्छा से बेहतर ही रहेंगे।