बिहार में आये चमकी बुखार के चलते कई मासूमो ने अपनी जान गवायी तो अब जागे नीतीश कुमार ...
खास रिपोर्ट---रज़िया बानो खान......

 



 

17 दिन बाद ही सही पर साहब गए तो पीड़ित परिवार का दर्द सुनने और अस्पताल का हाल देखने।जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुज़फ़्फ़रपुर स्थित श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (SKMCH) पहुंचे तो स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। इस अस्पताल में एक्यूट एन्सिफेलाइटिस सिन्ड्रोम (AES) से अब तक 89 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि पूरे शहर में अब तक 108 बच्चे इस बीमारी के कारण जान गंवा चुके हैं।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज अस्पताल जा कर मरीज़ों और उनके परिजनों से मुलाकात की। वह मरीज़ों को दिए जा रहे उपचार से संतुष्ट थे, उन्होंने हर रोज़ दोपहर 3 बजे बुलेटिन जारी करने का आदेश दिया है. उन्हें इस बात से बहुत दुःख पहुंचा कि यहां इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। अस्‍पताल में मौत का सिलसिला 17 दिन पहले शुरू हुआ था,जो अब तक जारी है। 

 



पूरे बिहार में अब तक 126 बच्‍चों की मौत हो चुकी है, और मुख्‍यमंत्री के इस रवैये से लोगों में काफी नाराज़गी है जो उन्होंने अपने विरोध प्रदर्शन के जरिये ज़ाहिर भी की।लोगों को नाराज़गी इस बात को लेकर थी कि इतनी मासूम मौतों के बाद भी प्रदेश का मुखिया अभी तक क्यों नही आया था साथ ही वो उनकी पार्टी के उन नेताओ से भी नाराज़ हैं जो इस बुखार से मर रहे मासूमो पर ऊल जलूल बयान दे रहे हैं।


 

देखा जाए तो बिहार के मुख्यमंत्री ने इस त्रासदी को त्रासदी ना मान कर इसे एक आम घटना की ही तरह लिया है ऐसा इसलिए लग रहा है।क्योंकि एक तरफ जहां इस बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ रही है तो वही दूसरी तरह इसकी रोक थाम का कोई व्यापक इंतेज़ाम होता भी नही दिखाई दे रहा है।ऐसे में इस चमकी बुखार से बच्चों को कैसे बचाया जाए ये एक बड़ा सवाल है।इसलिए नीतीश कुमार जी को बच्चो का ना सही पर अपने स्लोगन पर तो ज़रूर संजीदगी से सोचना चाहिए।जिसमें कहा गया है कि नीतीशे कुमार है तो बिहार में बहार है,.....तो नितीश जी बिहार की बहार को बचाने के लिए अस्पतालों में पूरे इंतज़ाम हो ये भी बहुत ज़रूरी है आज के समय मे किसी रहस्मय बीमारी से हो रही मौते ये वाकई बड़ी गंभीर चिंता की बात है।