अध्यक्ष जी व्यक्ति अपनी ही उलूल जुलूल हरकतों से खुद को पप्पू कहलवाता हैं......
खास रिपोर्ट---रज़िया बानो खान 

 


पिछले चुनाव में पप्पू के नाम प्रचलित हुए कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी को भले ये नाम पसंद ना हो लेकिन उनकी करनी ही उनको इस नाम का हकदार बनाती है।आप चाहे चुनावी भाषणों की बात करें या उनके बयानों की सभी मे राहुल गांधी के ऐसे बचकाने बयान आते हैं जो हंसी दिला जाते हैं।फिर चाहे वो संसद में पीएम के गले लगने वाली बात हो या आलू की फैक्ट्री डालने वाली बात।अब आपको याद होगा कि पिछली बार संसद सत्र के दौरान उन्होंने अपने भाषण में पीएम मोदी पर उनसे नफरत करने का आरोप लगाया था। बाद में खुद उसके बदले प्यार जताने की बात कही साथ ही उनको गले भी लगाया वो भी ज़बरदस्ती चलिये यहां तक भी ठीक था।  लेकिन उसके बाद अपनी कुर्सी पर बैठ कर उन्हें आंख मारने की क्या ज़रूरत थी। जो वो हंसी का पात्र बन गये और अपने ही किये धरे  पर पानी फेर लिया फिर जवाब देते नही बना जिसने उनकी ये हरकत देखी वो बिना हंसे नही रहा।

 


 

अब इस संसद सत्र की बात ले लीजिए आज राष्ट्रपति जी के अभिभाषण के दौरान पूरा संसद सांसदों से भरा था सभी उस अभिभाषण को गंभीरता से सुन रहे थे और मेज़ भी थपथपा रहे थे। लेकिन वही सोनिया गांधी के बगल में बैठे राहुल गांधी उस वक़्त अपने मोबाईल पर ना जाने कौन सी ज़रूरी बात पढ़ रहे थे और तो और जब सोनिया गांधी ने मेज़ थपथपाया तो राहुल ने उनका हाथ रोकने का प्रयास किया।जिसका मतलब साफ था कि उनका दिमाग तो अभिभाषण में था पर पीएम मोदी की प्रशंसा उन्हें बर्दाश्त नही हुई जैसा पहले भी होता रहा है।

 


 

लेकिन ताज्जुब है कि इतने ज़िम्मेदार पद पर बैठे राहुल गांधी क्यों इतनी बचकाना हरकत करते हैं जो कैमरा उन पर ही आकर रुक जाता है।क्यों वो राजनीति में इंटरेस्ट नही लेते ये भी हमारी समझ से परे है क्या उनकी मजबूरी उनसे राजनीति करवाती है।अब ये सवाल उठना लाज़मी है कि क्या कोई ज़िम्मेदार नेता ऐसी गैरजिम्मेदाराना हरकत संसद में कर सकता है।मेरे हिसाब से तो नहीं,......!!!!
राहुल जी अगर आपको अपने बाप दादा से मिली राजनीतिक धरोहर को बचाये रखना है तो अपने में गम्भीरता लाये।