बेटी बचाओ जान गंवाओ ये दिल्ली बोल रही...

खास रिपोर्ट--- रज़िया बानो खान 



आपका शहर आपके लिए कितना सुरक्षित है ये सिवाए आपके कोई नही जानता,सरकार दावे करती रहती है कि हमारा प्रदेश अपराध मुक्त है लेकिन इन दावों की हकीकत क्या होती है ये वही जानता है जो इसका शिकार होता है।वैसे अक्सर सरकारें बात करती  है महिला सुरक्षा की और तो और मौजूदा भाजपा सरकार ने तो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद कर के ही देश की सत्ता हासिल की थी।

 

लेकिन दिल्ली के मोती नगर में जो हुआ वो इस सरकार के मुंह पर ज़ोरदार तमाचे से कम नही लगता यहाँ एक बाप को इसलिए जान गंवानी पड़ी क्योंकि वो अपनी बेटी की सुरक्षा करने की कोशिश कर रहा था।आपको पता ही होगा कि सोमवार की रात दिल्ली के मोतीनगर में जब एक बीमार बेटी अपने पिता के साथ घर लौट रही थी तभी घर के पास कुछ मनचलों ने उस लड़की पर  कमेंट पास किया जो उसके पापा को नागवार गुजरा,मौके की नजाकत समझते हुए उसके पापा उस वक़्त तो कुछ नही बोले पर जब अपनी बेटी को घर छोड़ के वापस उन लड़कों को समझाने गए तो वो घर लौट के नही आये।

 

पीड़िता के मुताबिक उसके पापा उसको छोड़ने के बाद घर ना आ कर वापस उन लड़कों के पास गए उसके बाद लड़ाई झगड़े की आवाज़ सुनाई देने लगी तो उसने अपने भाई को इसकी सूचना दी फिर दोनों उस जगह गए जहां उसके पापा लहूलुहान ज़मीन पर पड़े हुए थे।

लड़कों ने चाकुओ से उनपर हमला बोल दिया था और तो और लडक़ी और उसके भाई पर भी वो हमलावर हो गए थे।आननफानन में दोनों को अस्पताल ले जाया गया जहां पिता को मृत घोषित कर दिया गया।

 

तो अब सवाल यही है कि सरकार किस मुह से कहती है कि उसके राज्य में अपराध कम है क्यों खाकी का खौफ सिर्फ आम आदमी तक ही सीमित रह गया है क्यों बेटियों की सुरक्षा को लेकर एक बाप अपनी जान गंवाने को मजबूर हो जाता है आखिर क्यों नही सरकार अपने नारों पर मुस्तेदी से काम नही करती।आज के समय मे भी सरकारें बेटी को देश मे सुरक्षा नही देती है तो ऐसी सरकार को चुनने से क्या फायदा जो विभागों पर नकेल नही कस पाती और अपराधी मुँह उठा कर घूमते नज़र आते हैं।