*अजीनोमोटो* "दिमाग़ को पागल करने का मसाला"
*शादी-ब्याह* *दावतों* में भूल कर भी हलवाई को न दे....!

 


रज़िया बानो........

 


आजकल व्यंजनों में, खासकर चायनीज वैरायटी में, 

एक सफेद पाउडर या क्रिस्टल के रूप में 

*मोनो सोडियम ग्लुटामेट* (M.S.G.) नामक रसायन

जिसे दुनिया *अजीनोमोटो* के नाम से जानती है, 

का प्रयोग बहुत बढ़ गया है,

बिना यह जाने कि यह वास्तव में क्या है? 

*अजीनोमोटो* नाम तो असल में इसे बनाने वाली मूल चायनीज कम्पनी का है !

यह एक ऐसा रसायन है, जिसके जीभ पर स्पर्श के बाद जीभ भ्रमित हो जाती है और मस्तिष्क को झूठे संदेश भेजने लगती है। 

जिस सें *सड़ा-गला* या *बेस्वाद* खाना भी अच्छा महसूस होता है। 

इस रसायन के प्रयोग से शरीर के अंगों-उपांगों और मस्तिष्क के बीच *न्यूरोंस* का नैटवर्क बाधित हो जाता है, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम होते हैं। 

 

चिकित्सकों के अनुसार *अजीनोमोटो* के प्रयोग से 

1-एलर्जी, 

2-पेट में अफारा, 

3-सिरदर्द, 

4-सीने में जलन, 

5-बाॅडीे टिश्यूज में सूजन, 

6-माइग्रेन आदि हो सकते है। 

*अजीनोमोटो* से होने वाले रोग इतने व्यापक हो गये हैं कि अब इन्हें '*चाइनीज रेस्टोरेंट सिंड्रोम* कहा जाता है। दीर्घकाल में *मस्तिष्काघात* (Brain Hemorrhage)

हो सकता है जिसकी वजह से *लकवा* होता है।

अमेरिका आदि बहुत से देशों में *अजीनोमोटो* पर प्रतिबंध है। 

न जाने 

*फूड सेफ्टी एण्ड स्टैन्डर्ड अथाॅरिटी आॅफ इंडिया'* ने भारत में *अजीनोमोटो* को प्रतिबंधित क्यों नहीं किया है? 

 

*सुरक्षित खाद्य अभियान* ("Safe Food Abhiyan")

की पाठकों से जोरदार अपील है कि दावतों में हलवाई द्वारा मंगाये जाने पर उसे *अजीनोमोटो* लाकर ना देवें। हलवाई कहेगा कि चाट में मजा नहीं आयेगा, 

फिर भी इसका पूर्ण बहिष्कार करें। 

कुछ भी हो (AFTER ALL) दावत खाने वाले आपके *प्रियजन* हैं, आपके यहां दावत खाकर वे बीमार नही पड़ने चाहिए ! 

जब आपने बाकि सारा बढ़िया सामान लाकर दिया है तो लोगों को *अजीनोमोटो* के बिना भी खाने में, चाट में पूरा मजा आयेगा, आप निश्चिंत रहें। 

*अजीनोमोटो* तो *हलवाई की अयोग्यता* को छिपाने व होटलों, ढाबों, कैटरर्स, स्ट्रीट फूड वैंडर्स द्वारा सड़े-गले सामान को आपके *दिमाग* को पागल बनाकर स्वादिष्ट महसूस कराने के लिए डाला जाता है।

क्या *हलवाई की अयोग्यता* का दंड अपने *प्रियजनों*

को देंगे  ????

*सुरक्षित खाद्य अभियान*(Safe Food Abhiyan)द्वारा 

"विज्ञान प्रगति' मई-2017"में छपी सामग्री पर आधारित।