Weapons की खरीद में सऊदी अरब नंबर एक




10 साल बाद अब भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों Weapons का खरीददार नहीं रहा है। एक दशक तक भारत हथियारों की वैश्विक स्तर पर खरीद के मामले में शीर्ष पर रहता था मगर, अब भारत को पीछे छोड़कर अब सऊदी अरब सबसे ज्यादा हथियारों को खरीदने वाला देश बन गया है। हथियारों के खरीद-फरोख्त पर नजर रखने वाली स्टॉकहोम स्थित एक थिंक टैंक की ताजा जारी रिपोर्ट्स में यह जानकारी दी गई है।


सबसे ज्यादा Weapons खरीदे


रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014 से 2018 के बीच सऊदी अरब ने सबसे ज्यादा हथियार Weapons खरीदे हैं। इस पांच साल की इस अवधि के दौरान सऊदी अरब ने वैश्विक स्तर पर 12 फीसद हथियार खरीदे, जबकि भारत 9.5 फीसद विदेशी हथियारों की खरीद के साथ इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर रहा। उसके बाद मिस्र, ऑस्ट्रेलिया और अल्जीरिया का नंबर आता है। हथियारों की खरीद में चीन 4.2 प्रतिशत आयात के साथ छठवें नंबर पर रहा। यह खुलासा स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) द्वारा प्रकाशित नए आंकड़ों में हुआ है।


रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2014-18 और 2009-2013 के बीच भारत में रूसी हथियारों का निर्यात लगातार गिरकर 24 फीसद पर आ गया है। रिपोर्ट में इसका कारण पीएम नरेंद्र मोदी की विदेशी हथियारों पर देश की निर्भरता कम करने की कोशिश बताई गई है। भारत के आयात में इस गिरावट का एक कारण आंशिक रूप से विदेशी निर्यातकों से लाइसेंस प्राप्त हथियारों की डिलीवरी में देरी भी रही है। दरअसल, साल 2001 में रूस से लड़ाकू विमान और साल 2008 में फ्रांस से पनडुब्बी खरीदने का करार हुआ था, लेकिन इनकी डिलीवरी अब तक नहीं हो पाई है।


भारत इस समय विदेशों से आयातित हथियारों पर अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है। मगर, विशेषज्ञों का मानना है कि रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया को तभी सफल माना जा सकता है, जब भारत किसी विशेष प्रकार के हथियार का आयात यह कहकर बंद कर दे कि इसका निर्माण अब भारत में ही हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014-2018 में भारत को जो हथियार निर्यात हुए उसमें 58 प्रतिशत हिस्सा रूस का था, जबकि तुलनात्मक रूप से 2009-2013 में यह 76 फीसद था।